चंडीगढ़, 30 अक्तूबर-हरियाणा ने डिजिटल गवर्नेंस और नागरिक-केंद्रित पुलिसिंग में उत्कृष्टता के नये मानक स्थापित करते हुए जून 2021 से लेकर अब तक के 51 महीनों में से 37 महीनों तक राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष स्थान बनाए रखा है। अगस्त 2025 में राज्य ने सौ फीसदी अंक हासिल करते हुए कुशल सेवा वितरण और तकनीक-आधारित न्याय सुधारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में आज अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं प्रणाली (सीसीटीएनएस) तथा इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) की 31वीं स्टेट एपेक्स कमेटी की बैठक हुई। बैठक में राज्य की तकनीकी अवसंरचना की समीक्षा के साथ-साथ भावी नवाचारों की रूपरेखा पर भी विचार-विमर्श किया गया।
श्री रस्तोगी ने विभाग के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि हरियाणा की डिजिटल पुलिसिंग व्यवस्था ने शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता के नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश का डिजिटल पुलिसिंग मॉडल एक नई सोच का प्रतीक है, जो प्रतिक्रियात्मक प्रवर्तन से आगे बढ़कर डेटा-आधारित और नागरिक-केंद्रित शासन की दिशा में अग्रसर है।
गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि हरियाणा पुलिस ने नागरिक सेवाओं में अतुलनीय निरंतरता कायम रखते हुए हर समय पोर्टल पर प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए राइट टू सर्विस डैशबोर्ड पर 10 में से 10 अंक प्राप्त किए हैं। 28 अक्तूबर, 2025 तक विभाग ने सरल पोर्टल के माध्यम से 75.97 लाख नागरिक आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण किया है, जो राज्य के सभी विभागों में सर्वाधिक है।
डॉ. मिश्रा ने कई अभिनव तकनीकी पहलों का जिक्र किया, जिनमें होटल विजिटर डेटा सर्च, आईआईएफ-3 (गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण फार्म) में क्रिमिनल सर्च हिस्ट्री और लापता व्यक्तियों का हर समय पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण शामिल है। नागरिक अब घर बैठे केवल दो मिनट में लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। इससे न केवल त्वरित पुलिस कार्रवाई सुनिश्चित होती है बल्कि परिवार की चिंता भी कम होती है।
हरियाणा ने एआई सक्षम एक स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम भी शुरू किया है, जो किसी भी होटल में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के ठहरने पर सम्बन्धित थाने के एसएचओ को रियल-टाइम अलर्ट भेजता है। जुलाई से प्रदेशभर में लागू यह प्रणाली आगंतुक के नाम, आधार नंबर और मोबाइल नंबर का पुलिस रिकॉर्ड से स्वतः मिलान करती है। देश की पहली ऐसी तकनीक-आधारित पूर्व चेतावनी प्रणाली से संभावित अपराधों को समय रहते रोकने में मदद मिली है।
सीसीटीएनएस और ई-प्रॉसिक्यूशन संस्करण-2 के एकीकरण से अब मसौदा आरोप-पत्रों का कानूनी परीक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण संभव हो गया है, जिससे मैनुअल देरी और त्रुटियों की संभावना समाप्त हो गई है। अब हरियाणा में सभी आरोप-पत्र न्यायालयों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजे जाते हैं और शत-प्रतिशत डिजिटल फाइलिंग हासिल की जा चुकी है। करनाल में सफल पायलट प्रोजेक्ट से इसकी विश्वसनीयता सिद्ध हो चुकी है।
बैठक में 33.69 करोड़ रुपये की राज्य कार्य योजना के अंतर्गत गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित परियोजना आईसीजेएस 2.0 के लिए 92.32 लाख रुपये जारी करने को मंजूरी दी गई। इस राशि से 411 फिंगरप्रिंट एनरोलमेंट डिवाइस, 2,489 सिंगल-डिजिट स्कैनर और 1,688 वीडियो कॉन्फ्रेंस/वेब कैमरे खरीदे जाएंगे। इससे अपराध न्याय प्रणाली के प्रत्येक चरण का आधुनिकीकरण होगा। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने भी गृह मंत्रालय द्वारा 3.25 करोड़ की अतिरिक्त राशि को भी मंजूरी देने की पुष्टि की है।
मुख्य सचिव ने सभी विभागों को इन परियोजनाओं के समयबद्ध और प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि हरियाणा के 391 पुलिस थाने अब देश के सशक्त और डिजिटल रूप से जुड़े पुलिस नेटवर्क का हिस्सा हैं।
पुलिस महानिदेशक श्री ओ.पी. सिंह ने बताया कि मोबाइल क्राइम यूनिट्स के मामले में हरियाणा देश में अग्रणी है। वर्तमान में 27 यूनिट्स संचालित हैं और गत 9 अक्तूबर तक 11,071 बायोमेट्रिक एनरोलमेंट्स दर्ज किए जा चुके हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। ये यूनिट्स अपराध स्थल पर ही फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्र करती हैं, जिससे जांच की गुणवत्ता और गति दोनों में सुधार हुआ है।
‘न्याय श्रुति’ पहल के तहत करनाल में वर्चुअल कोर्ट अपीयरेंस शुरू कर दी गई है। इससे पुलिस कर्मियों और बंदियों की अनावश्यक आवाजाही में कमी तथा मामलों के निस्तारण में तेजी आई है। विभाग अब रियल-टाइम डैशबोर्ड और स्लॉट टाइमिंग सिस्टम लागू करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता व दक्षता और बढ़ेगी।
बैठक में पुलिस, हारट्रोन, एनआईसी, क्रिड, गृह, अभियोजन और जेल समेत कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
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